Surya
कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी।

यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुओं मैं खो भी सकती थी।

मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं
कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं।

गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे,
इससे किसी के सहारे कि आरझु भी नहीं|

न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी|

इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही

कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता है|

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शादाब /Shadab=fresh,delightful
रंज/Ranj=distress,grief
जुस्तजू /Justjoo=desire
हम-नफस/Hum-nafas=companion,friend

by- साहिर लुधियानवी
Voice by: Amitabh Bacchan.
14 Responses
  1. प्रिय सूर्या
    ये नज़्म जावेद अख्तर साहब ने लिखी है ओर अमिताभ ने अपनी आवाज दी है .



  2. Bhau Says:

    This song written by Sabir ludhiyanvi ji not by javed ji


  3. Manish Awara Says:

    पता नहीं लोग लिखते समय स्पेलिंग मिस्टेक क्यों करते हैं

    अरे भाई साबिर नहीं, साहिर लुधियानवी !


  4. Surya Says:

    Manish Awara Ji, sahi kar diye! batane ke liye bahut bahut dhanyawaad!



  5. Unknown Says:

    बहत सुंदर कविता है।


  6. SUNIL JHA Says:

    Bahut behatrin , shabd aur bhabnayen ka anokha milan. hridaysaprshi


  7. gudia Says:

    ye साहिर साहब की nazam है jo talkhiyan नामक एक संकलन में से ली gayi hai


  8. बेनामी Says:

    शायद अंधेरों की जगह खयालों है।



  9. बेनामी Says:

    सही है यही


  10. बेनामी Says:

    Kabhi kabhi ............❤️


  11. बेनामी Says:

    Dosti bahut pasand he


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