tag:blogger.com,1999:blog-14710293917474330942024-03-28T05:23:23.987+05:30हिंदी कविताएँ और कहानियाँखोने की ज़िद में क्यूँ भूलते हो, कि पाना भी होता है....Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.comBlogger116125tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-85581349916655202802020-09-01T10:48:00.002+05:302020-09-01T10:48:45.888+05:30दे दी चुनौती सिंधु को - फिर धार क्या मँझधार क्या - De dee Chunauti Sindhu ko, phir dhar kya manjhdhar kyaजब नाव जल में छोड़ दीतूफ़ान में ही मोड़ दीदे दी चुनौती सिंधु कोफिर धार क्या मँझधार क्या।।कह मृत्यु को वरदान हीमरना लिया जब ठान हीजब आ गए रणभूमि मेंफिर जीत क्या फिर हार क्या।।जब छोड़ दी सुख की कामनाआरंभ कर दी साधनासंघर्ष पथ पर बढ़ चलेफिर फूल क्या अंगार क्या।।संसार का पी पी गरलजब कर लिया मन को सरलभगवान शंकर हो गएफिर राख क्या श्रृंगार क्या ।।Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-59107133356870285522020-07-27T15:33:00.010+05:302021-06-07T12:22:54.464+05:30है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है - Hai Andheri Raat Par Diwa Jalana Kab mana haiकल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना थाभावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना थास्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारास्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना थाढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों कोएक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना हैहै अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना हैबादलों के अश्रु से धोया गया नभ-नील नीलमका बनाया था गया मधुपात्र मनमोहक, मनोरमप्रथम ऊषा की किरण की लालिमा-सी Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-25803007769637543432020-05-28T19:55:00.004+05:302020-11-04T11:32:57.263+05:30वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ (Waqt ka Ye Parinda Ruka Hai Kahan)वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँमैं था पागल जो इसको बुलाता रहाचार पैसे कमाने मैं आया शहरगाँव मेरा मुझे याद आता रहा |लौटता था मैं जब पाठशाला से घरअपने हाथों से खाना खिलती थी माँरात में अपनी ममता के आँचल तलेथपकीयाँ देके मुझको सुलाती थी माँ ||सोच के दिल में एक टीस उठती रहीरात भर दर्द मुझको जागता रहाचार पैसे कमाने मैं आया शहरगाँव मेरा मुझे याद आता रहा ||सबकी आँखों में आँसू छलक आए थेजब रवाना हुआ था शहरSuryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com142tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-42186315625214538102020-05-28T19:40:00.000+05:302020-05-28T19:40:08.100+05:30 शक्ति और क्षमा / Shakti Aur Kshamaक्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबलसबका लिया सहारापर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसेकहो, कहाँ, कब हारा?क्षमाशील हो रिपु-समक्षतुम हुये विनत जितना हीदुष्ट कौरवों ने तुमकोकायर समझा उतना ही।अत्याचार सहन करने काकुफल यही होता हैपौरुष का आतंक मनुजकोमल होकर खोता है।क्षमा शोभती उस भुजंग कोजिसके पास गरल होउसको क्या जो दंतहीनविषरहित, विनीत, सरल हो।तीन दिवस तक पंथ मांगतेरघुपति सिन्धु किनारे,बैठे पढ़ते रहे छन्दअनुनय के Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-67053280855208098422019-09-21T21:16:00.005+05:302020-05-28T19:42:54.597+05:30पथ भूल न जाना पथिक कहीं ( Path bhool na jaana pathik kahin )
पथ भूल न जाना पथिक कहींपथ में कांटे तो होंगे हीदुर्वादल सरिता सर होंगेसुंदर गिरि वन वापी होंगेसुंदरता की मृगतृष्णा मेंपथ भूल न जाना पथिक कहीं।
जब कठिन कर्म पगडंडी परराही का मन उन्मुख होगाजब सपने सब मिट जाएंगेकर्तव्य मार्ग सन्मुख होगातब अपनी प्रथम विफलता मेंपथ भूल न जाना पथिक कहीं।
अपने भी विमुख पराए बनआंखों के आगे आएंगेपग पग पर घोर निराशा केकाले बादल छा जाएंगेतब अपने एकाकीपन मेंपथ भूल न जाना Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-685424650402448592019-09-16T11:44:00.002+05:302019-09-16T11:45:20.360+05:30कुछ हँस के बोल दिया करो - Kuch Has ke bol diya karo
कुछ हँस केबोल दिया करो,कुछ हँस केटाल दिया करो,
यूँ तो बहुत
परेशानियां है
तुमको भी
मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले
वक्त पे डाल दिया करो,
न जाने कल कोई
हंसाने वाला मिले न मिले..
इसलिये आज ही
हसरत निकाल लिया करो !!
समझौता
करना सीखिए..
क्योंकि थोड़ा सा
झुक जाना
किसी रिश्ते को
हमेशा के लिए
तोड़ देने से
बहुत बेहतर है ।।।
किसी के साथ
हँसते-हँसते
उतने ही हक से
रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-49391304796090481092019-04-18T13:24:00.001+05:302019-04-18T13:24:49.314+05:30बेटे भी घर छोड़ जाते हैं- Bete bhi ghar chhod jatein hain!
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं।
जो तकिये के बिना कहीं…भी सोने से कतराते थे…
आकर कोई देखे तो वो…कहीं भी अब सो जाते हैं …
खाने में सो नखरे वाले…अब कुछ भी खा लेते हैं…
अपने रूम में किसी को…भी नहीं आने देने वाले…
अब एक बिस्तर पर सबके…साथ एडजस्ट हो जाते हैं…
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं।।।
घर को मिस करते हैं लेकिन…कहते हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ’…
सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले…अब कहते हैं ‘कुछ नहीं चाहिए’…
Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-16003811796068501052019-02-05T18:10:00.000+05:302019-02-05T18:14:01.797+05:30सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो - ( Safar mein dhoop to hogi, jo chal sako to chalo )
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलोसभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलोबने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैंतुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देतामुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदेंइन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-64263842084466333052017-04-17T13:41:00.002+05:302017-04-17T13:41:19.327+05:30मेहनत से उठा हूँ, मेहनत का दर्द जानता हूँ - Mehnat se utha hoon, mehnat ka dard jaanata hoon.
मेहनत से उठा हूँ, मेहनत का दर्द जानता हूँ|
मेहनत से उठा हूँ, मेहनत का दर्द जानता हूँ,
आसमाँ से ज्यादा जमीं की कद्र जानता हूँ।
लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधिया,
मैं मगरूर दरख्तों का हश्र जानता हूँ।
छोटे से बडा बनना आसाँ नहीं होता,
जिन्दगी में कितना जरुरी है सब्र जानता हूँ।
मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली,
छालों में छिपी लकीरों का असर जानता हूँ।
कुछ पाया पर अपना कुछ नहीं माना,क्योंकि&Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-60123486209497516382017-03-30T14:22:00.003+05:302017-03-30T14:24:37.310+05:30माना की हम यार नहीं ( Mana Ki hum yaar nahi )
माना की हम यार नहीं
माना की हम यार नहीं
लो तय है के प्यार नहीं
माना की हम यार नहीं
लो तय है के प्यार नहीं
फिर भी नज़रें ना तुम मिलाना
दिल का ऐतबार नहीं
माना के हम यार नहीं
रास्ते में जो मिलो तो
हाथ मिला ने रुक जाना
हो ओ.. साथ में कोई हो तुम्हारे
दूर से ही तुम मुस्काना
लेकिन मुस्कान हो ऐसी
के जिसमे इकरार नहीं
नज़रों से ना करना तुम बयां
वो जिसे इनकार नहीं
माना के हम यार नहीं
फूल जो बंद है Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-13783189027083791162016-12-02T09:56:00.001+05:302016-12-02T09:57:52.534+05:30खुद को इतना भी मत बचाया कर - Khud Ko Itna Bhi Mat Bachaya Kar
खुद को इतना भी मत बचाया कर
खुद को इतना भी मत बचाया कर
बारिशें हों तो भीग जाया कर
चाँद लाकर कोई नहीं देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर
दर्द हीरा है, दर्द मोती है
दर्द आँखों से मत बहाया कर
काम ले कुछ हसीन होंठो से
बातों-बातों मे मुस्कुराया कर
धूप मायूस लौट जाती है
छत पे कपड़े सुखाने आया कर
कौन कहता है दिल मिलाने को
कम से कम हाथ तो मिलाया कर
- शक़ील आज़मी
Khud ko Itna bhi mat bachaya kar
Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-90100893003157430502016-08-08T11:00:00.000+05:302016-12-02T09:59:01.167+05:30ना आदि ना अंत है उसका। - Na Aaadi na ant hai uska
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय।।
महादेव, जय माँ विन्ध्यवासिनी, ऊँ गणेशायः नमः
ना आदि ना अंत है उसका।वो सबका, न इनका उनका।वही शून्य है, वही इकाई।जिसके भीतर बसा शिवायः।आँख मूंदकर देख रहा है।साथ समय के खेल रहा है।महादेव महाएकाकी।जिसके लिए जगत है जाकी।
वही शून्य है, वही इकाई।जिसके भीतर बसा शिवायः।
राम भी उसका, रावण उसकाSuryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com19tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-17226590538982718282016-07-19T12:41:00.000+05:302016-08-16T14:40:59.246+05:30बात करनी मुझे मुश्किल - Baat karni mujhe mushkil kabhi aisee to na thi
बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी
ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार
बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी!!
Baat karni mujhe mushkil kabhi aisee to na thi
Jaisee ab hai teri mahfil kabhi aisee to na thi
le gaya chheen ke kaun aaj tera sabra-o-karar
bekraree tujhe aye dil abhi aisee to na thi...Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-4620482089832554372016-02-02T22:09:00.003+05:302016-02-02T22:24:48.783+05:30नज़र निशाने पे ना हो तो निशाना चूक जाता है. Nazar Nishane pe na ho to Nishana chook jaata hai.
नज़र निशाने पे ना हो तो निशाना चूक जाता है, राश्ता भुला तो मज़िल खो जाती है ।
मेरी मंज़िल और मेरा निशाना कुछ और ही है !
Nazar Nishane pe na ho to Nishana chook jaata hai, aur rashta bhula to manzil kho jati hai.
Meri manzil aur mera nishana kuch aur hi hai.
Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-21690472800266141362016-02-01T01:59:00.001+05:302016-02-01T01:59:52.608+05:30Tumhi ko hamne chaha tha, tumhi milte to accha tha... तुम्हीं को हमने चाहा था, तुम्हीं मिलते तो अच्छा था
जहाँ फूलों को खिलना था,वहीँ खिलते
तो अच्छा था....
तुम्हीं को हमने चाहा था, तुम्हीं मिलते
तो अच्छा था....
कोई आकर हमें पूछे तुम्हें कैसे भुलाया है....
तुम्हारे ख़त को अश्क से शबे गम ने
जलाया है...
हजारों ज़ख्म ऐसे हैं जो सिलते तो अच्छा था....
तुम्हीं को हमने चाहा था, तुम्हीं मिलते
तो अच्छा था....
तुम्हे जितना भुलाया है, तुम्हारी याद आई है....
बहारें जब भी आई हैं, तेरी खुशबू ही लायी Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-53146218779457644422016-02-01T01:54:00.000+05:302016-02-01T02:01:32.653+05:30Sher-O-Shayari शेर-ओ-शायरी
देखी जो मेरी नब्ज़ तो इक लम्हा सोच कर,
कागज़ लिया और इश्क़ का बीमार लिख दिया॥
मत पूछो की किस तरह चल रही है ज़िन्दगी,
उस दौर से गुज़र रहे हैं जो गुज़रता ही नहीं॥
इतना न याद आया करो कि रात भर सो न सकें,
सुबह को सुर्ख आँखों का सबब पूंछते हैं लोग ॥
मोहब्बत की आँधियों से टकराने में ही तो मज़ा है ग़ालिब,
अगर मरना ही है तो मोहब्बत में क्यूँ नहीं ॥
हमारे बाद नहीं आएगा उन्हें चाहत का मज़ा,
वोSuryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-61316991962238859762016-01-02T22:22:00.003+05:302016-02-01T01:55:03.718+05:30एक मीठा उलाहना Zindagi Bas Yahi Hai!
एक मीठा उलाहना" अजी सुनते हो एक बात कहू आपसे ???"एक 80 साल की पत्नी ने अपने 84 साल के पति सेकहा .पति अपनी पत्नी के करीब आया और बोला कहो .पत्नी भावुक होकर बोली ," आपको याद है आपने हमारी शादी से पहलेअपनी माँ को छुपकर एक ख़त लिखा था जिसमे आपनेअपने गुस्से का इजहार करते हुए लिखा था की आप मुझसेशादी नहीं करना चाहतेक्युकी आपको मेरा चेहरा पसंद नहीं था "पति ने हैरान होकर पूछा ," वो ख़त तुझे कहा मिला Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-43714747484397320482015-11-06T11:50:00.001+05:302016-07-19T12:48:33.661+05:30आगे सफर था और पीछे हमसफर था Aage Safar tha, peeche hamsafar tha
आगे सफर था और पीछे हमसफर था..
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..
ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...
मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हमसफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....
यूँ समँझ लो,
प्यास लगी थी गजब की...
मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते.
बस यही दो मसले, जिंदगीभर नाSuryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-21464387033488691582015-08-27T12:18:00.000+05:302016-02-01T02:08:46.944+05:30 वे तेईस बरस Wo Teish Barash
सौ बरस के बूढे के रूप में याद किये जाने के विरुद्ध!!
मैं फिर कहता हूँ,फांसी के तख्ते पर चढाये जाने के पचहत्तर बरस बाद भी,'क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है',वह बम,जो मैंने असेम्बली में फेंका था,उसका धमाका सुनने वालों में अब शायद ही कोई बचा हो,लेकिन वह सिर्फ एक बम नहीं, एक विचार था,और, विचार सिर्फ सुने जाने के लिए नहीं होतेमाना की यह मेरे जनम का सौवां बरस है,लेकिन मेरे Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-66405089686393826892015-07-29T14:54:00.000+05:302016-02-01T02:13:59.761+05:30वह प्रदीप जो दीख रहा है मंज़िल दूर नहीं है - wah pradeep jo deekh raha hai manzil door nahi hai
वह प्रदीप जो दीख रहा है
झिलमिल दूर नहीं है।
थक कर बैठ गए क्या भाई !
मंज़िल दूर नहीं है।
अपनी हड्डी की मशाल से
हृदय चीरते तम का,
सारी रात चले तुम दुःख -
झेलते कुलिश निर्मल का,
एक खेय है शेष
किसी विध पार उसे कर जाओ,
वह देखो उस पार चमकता है
मंदिर प्रियतम का।
आकर इतना पास फिरे,
वह सच्चा शूर नहीं है।
थक कर बैठ गए क्या भाई !
मंज़िल दूर नहीं है।
दिशा दीप्त हो उठी प्राप्त कर
पुण्य प्रकाश Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-65653545359935550202012-07-23T08:36:00.001+05:302016-02-01T02:06:51.375+05:30मै तो कुछ भी नहीं - वो भी इक दौर था (Wo bhi ik daur tha, Main to kuch bhi nahi )
आप
आप क्या जाने मुझको समझते हैं क्या ?
मै तो कुछ भी नहीं
इस क़दर प्यार
इतनी बड़ी भीड़ का मै रखूँगा कहाँ ?
इस क़दर प्यार रखने के काबिल नहीं
मेरा दिल मेरी जान
मुझको इतनी मोहब्बत ना दो दोस्तों -2
सोच लो दोस्तों
इस क़दर प्यार कैसे संभालूँगा मै ?
मै तो कुछ भी नहीं
प्यार ?
प्यार इक शख्स का अगर मिल सके तो
बड़ी चीज़ है जिंदगी के लिए
आदमीSuryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-55503419654769781422012-07-17T17:11:00.000+05:302016-02-01T02:12:16.437+05:30इक हमीं तो हैं नही बरबाद तेरे शहर में (Ik Hami to hain Nahi Barbaad Tere Shahar Mein)
इक हमीं तो हैं नही बरबाद तेरे शहर मेंहैं परिन्दे भी नहीं आज़ाद तेरे शहर में
हर तरफ़ बौने ही दिख रहें हैं हमको तोक्या नहीं कोई भी शमशाद तेरे शहर में
गीत कोई गाए या कोई सुनाए अब ग़ज़लअब नहीं कहता कोई इरशाद तेरे शहर में
यों भुलाना तुमने चाहा है हमें जब भी कभीक्या नही ग़म की बढ़ी तादाद तेरे शहर में
झुग्गियाँ तक भी हमारी तो जला दीं हैं [थी] गईबस मिली हमको यही इमदाद तेरे शहर में
Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-76923783478530496382012-07-14T22:51:00.000+05:302012-07-14T22:51:00.622+05:30अजब हैं लोग थोड़ी सी परेशानी से डरते हैं (Azab Hain Log Thodi Si Pareshani Se Darte Hain)अजब हैं लोग थोड़ी सी परेशानी से डरते हैं
कभी सूखे से डरते हैं, कभी पानी से डरते हैं
तब उल्टी बात का मतलब समझने वाले होते थे
समय बदला, कबीर अब अपनी ही बानी डरते हैं
पुराने वक़्त में सुलतान ख़ुद हैरान करते थे
नये सुलतान हम लोगों की हैरानी से डरते हैं
हमारे दौर में शैतान हम से हार जाता था
मगर इस दौर के बच्चे तो शैतानी से डरते हैं
तमंचा ,अपहरण, बदनामियाँ, मौसम, ख़बर, कालिख़
बहादुर लोग भी अब कितनीSuryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-32052497654417416992012-07-11T22:50:00.000+05:302012-07-11T22:50:00.405+05:30खुदा महफूज रखे मेरे बच्चों को सियासत से (Khuda Mahfooz Rakhe mere Bacchon ko Siyasat se)जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है
मगर ऐ आंसुओं! तुमने बहुत रुसवा कराया है
चमक यूं ही नहीं आती है खुद्दारी के चेहरे पर
अना को हमने दो दो वक्त का फाका कराया है
बड़ी मुद्दत पे खायी हैं खुशी से गालियाँ हमने
बड़ी मुद्दत पे उसने आज मुंह मीठा कराया है
बिछड़ना उसकी ख्वाहिश थी न मेरी आरजू लेकिन
जरा सी जिद ने इस आंगन का बंटवारा कराया है
कहीं परदेस की रंगीनियों में खो नहीं जाना
किसी ने घर Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1471029391747433094.post-44706860827201140812012-07-09T22:49:00.001+05:302012-07-09T22:53:17.039+05:30अजब दुनिया है नाशायर यहाँ पर सर उठाते हैं (Ajab Dunia hai Nashayar Yahan Sar Uthate hain)अजब दुनिया है नाशायर यहाँ पर सर उठाते हैं
जो शायर हैं वो महफ़िल में दरी- चादर उठाते हैं
तुम्हारे शहर में मय्यत को सब काँधा नहीं देते
हमारे गाँव में छप्पर भी सब मिल कर उठाते हैं
इन्हें फ़िरक़ापरस्ती मत सिखा देना कि ये बच्चे
ज़मीं से चूमकर तितली के टूटे पर उठाते हैं
समुन्दर के सफ़र से वापसी का क्या भरोसा है
तो ऐ साहिल, ख़ुदा हाफ़िज़ कि हम लंगर उठाते हैं
ग़ज़ल हम तेरे आशिक़ हैं मगर इस पेट की Suryahttp://www.blogger.com/profile/05534977028040476334noreply@blogger.com0