Surya
हार कबूल करता क्यूँ नहीं है
ये आदमी मरता क्यूँ नहीं है?

कई बार धमाकों से उड़ाया जाता है
गोलियों से परखच्चों में बदल दिया जाता है
ट्रेनों की छतों से खींच कर
नीचे पटक दिया जाता है।

अमीर जादों की "डरंकन ड्राइविंग"
के जश्न में कुचल दिया जाता है.......
कभी दंगों की आग में
जला कर ख़ाक कर दिया जाता है।

कहीं बाढ़ रहत के नाम पर
ठोकर दर ठोकर कत्ल कर दिया जाता है
कभी थाने में उल्टा लटकाकर
दम निकलने तक बेदम पीटा जाता है।

कभी बराबरी जुर्रत में
घोडे के पीछे बाँध कर खींचा जाता है।

सारी ताकतें चुक गयीं
मारते मारते ख़ुद थक गयीं
न अमरता ढोता कोई आत्मा है
न अश्वथामा न परमात्मा है।

फ़िर भी जाने इसमें क्या भरा है
हजारों साल से सामने खड़ा है
मर मर के जी जाता है।

सूखी जमीन से अंकुर सा फूट आता है
ख़त्म हो जाने से डरता क्यूँ नहीं है।

ये आदमी मरता क्यूँ नहीं है?????
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