अश्कों में जैसे धुल गये सब मुस्कराते रंग ,
रस्ते में थक के सो गयी मासूम सी उमंग,
दिल है कि फिर भी ख्वाब सजाने का शौक है,
पत्थर पे भी गुलाब उगाने का शौक है|
बरसों से तो यूँ एक अमावस कि रात है,
अब इसको हौसला कहूँ कि जिद की बात है,
दिल कहता है, कि अँधेरे में भी रौशनी तो है,
माना कि राख हो गये उम्मीद के अलाव,
कि राख में भी आग कहीं दबी तो है,
आप की याद कैसे आएगी?, आप ये समझते क्यूँ नहीं!!
याद तो सिर्फ उनकी आती है, हम कभी जिनको भूल जाते हैं!!
-- वीरानिया (महफ़िल मिक्स)
रस्ते में थक के सो गयी मासूम सी उमंग,
दिल है कि फिर भी ख्वाब सजाने का शौक है,
पत्थर पे भी गुलाब उगाने का शौक है|
बरसों से तो यूँ एक अमावस कि रात है,
अब इसको हौसला कहूँ कि जिद की बात है,
दिल कहता है, कि अँधेरे में भी रौशनी तो है,
माना कि राख हो गये उम्मीद के अलाव,
कि राख में भी आग कहीं दबी तो है,
आप की याद कैसे आएगी?, आप ये समझते क्यूँ नहीं!!
याद तो सिर्फ उनकी आती है, हम कभी जिनको भूल जाते हैं!!
-- वीरानिया (महफ़िल मिक्स)
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