Surya




जब नाव जल में छोड़ दी

तूफ़ान में ही मोड़ दी

दे दी चुनौती सिंधु को

फिर धार क्या मँझधार क्या।।


कह मृत्यु को वरदान ही

मरना लिया जब ठान ही

जब आ गए रणभूमि में

फिर जीत क्या फिर हार क्या।।


जब छोड़ दी सुख की कामना

आरंभ कर दी साधना

संघर्ष पथ पर बढ़ चले

फिर फूल क्या अंगार क्या।।


संसार का पी पी गरल

जब कर लिया मन को सरल

भगवान शंकर हो गए

फिर राख क्या श्रृंगार क्या ।।

12 Responses
  1. बेनामी Says:

    अद्भुत रचना ।


  2. बेनामी Says:

    अद्भुत रचना गजब के


  3. बेनामी Says:

    Writer kaun hai??


  4. बेनामी Says:

    अद्भुत


  5. बेनामी Says:

    बहुत अच्छा कविता h


  6. बेनामी Says:

    अति सुंदर रचना की है श्री हरिवंश राय बच्चन जी ने



  7. बेनामी Says:

    हरिवंश राय बच्चन जी


  8. बेनामी Says:

    अति उत्तम


  9. जाट Says:

    अति उत्तम


  10. बेनामी Says:

    Kon si book m h yeh kavita


  11. बेनामी Says:

    Kon ki book m h


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