कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी।
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुओं मैं खो भी सकती थी।
मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं
कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं।
गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे,
इससे किसी के सहारे कि आरझु भी नहीं|
न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी|
इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता है|
****************************
शादाब /Shadab=fresh,delightful
रंज/Ranj=distress,grief
जुस्तजू /Justjoo=desire
हम-नफस/Hum-nafas=companion,friend
by- साहिर लुधियानवी
Voice by: Amitabh Bacchan.
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी।
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुओं मैं खो भी सकती थी।
मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं
कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं।
गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे,
इससे किसी के सहारे कि आरझु भी नहीं|
न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी|
इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता है|
****************************
शादाब /Shadab=fresh,delightful
रंज/Ranj=distress,grief
जुस्तजू /Justjoo=desire
हम-नफस/Hum-nafas=companion,friend
by- साहिर लुधियानवी
Voice by: Amitabh Bacchan.
प्रिय सूर्या
ये नज़्म जावेद अख्तर साहब ने लिखी है ओर अमिताभ ने अपनी आवाज दी है .
शानदार
This song written by Sabir ludhiyanvi ji not by javed ji
पता नहीं लोग लिखते समय स्पेलिंग मिस्टेक क्यों करते हैं
अरे भाई साबिर नहीं, साहिर लुधियानवी !
Manish Awara Ji, sahi kar diye! batane ke liye bahut bahut dhanyawaad!
Really heart touching lines
बहत सुंदर कविता है।
Bahut behatrin , shabd aur bhabnayen ka anokha milan. hridaysaprshi
ye साहिर साहब की nazam है jo talkhiyan नामक एक संकलन में से ली gayi hai
शायद अंधेरों की जगह खयालों है।
Sad 😭
सही है यही
Kabhi kabhi ............❤️
Dosti bahut pasand he
Ankit। Kumar
Kabhi kabhi mere dil me khayal aata hai
Harvey