जनाजा रोककर वो मेरे से इस अन्दाज़ मे बोले,
गली छोड्ने को कही थी हमने तुमने दुनियां छोड दी।
जो गिर गया उसे और क्यों गिराते हो,
जलाकर आशियाना उसी की राख उड़ाते हो ।
गुज़रे है आज इश्क के उस मुकाम से,
नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से ।
जब जुबां खामोशी होती है नज़र से काम होता है,
ऐसे माहौल का ही शायद मोहब्बत नाम होता है।
वो फूल जिस पर ज्यादा निखार होते हैं,
किसी के दस्त हवस का शिकार होते हैं ।
पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी,
डगमगाना भी जरुरी है सम्भलने के लिये ।
मै जिसके हाथ मे एक फूल दे कर आया था,
उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश मे है ।
यूं तो मंसूर बने फिरते हैं कुछ लोग,
होश उड जाते हैं जब सिर का सवाल आता है ।
मुझे तो होश नही, तुमको खबर हो शायद ,
लोग कहते है कि तुम ने मुझ को बर्बाद कर दिया ।
देखिए गौर से रुक कर किसी चौराहे पर,
जिंदगी लोग लिए फिरते हैं लाशों के तरह ।
इस नगर मे लोग फिरते है मुखौटे पहन कर,
असल चेहरों को यहां पह्चानना मुमकिन नही ।
mast hai bhai
kaha se laye...