ऐ खुदा तूने मोहब्बत ये बनाई क्यूँ है?
गर बनाई तो मोहब्बत में ज़ुदाई क्यूँ है?
क्यूँ दिया प्यार मुझे इसकी ज़रुरत क्या थी..
मेरी बरबादी में शामिल तेरी हिकमत क्या थी..
मेरी राहों में तो खुशबू का सफ़र रहता था...
दिल में आबाद गुलाबों का नगर रहता था...
ज़िन्दगी खार भरी राहों में लायी क्यूँ है?
मैं अगर रोओं तो शेहरा को समंदर कर दूं..
सख्त हो जाऊं तो मोम को पत्थर कर दूं..
राख हो जाए तो जहाँ में मैं अगर आह भरूँ..
आसमाँ टूट पड़े तुझसे जो फ़रियाद करूँ...
इतनी गहराई मेरे इश्क में आयी क्यूँ हैं?
ऐ खुदा तूने ये मोहब्बत बनाई क्यूँ है?
गर बनाई तो मोहब्बत में ज़ुदाई क्यूँ है?
गर बनाई तो मोहब्बत में ज़ुदाई क्यूँ है?
क्यूँ दिया प्यार मुझे इसकी ज़रुरत क्या थी..
मेरी बरबादी में शामिल तेरी हिकमत क्या थी..
मेरी राहों में तो खुशबू का सफ़र रहता था...
दिल में आबाद गुलाबों का नगर रहता था...
ज़िन्दगी खार भरी राहों में लायी क्यूँ है?
मैं अगर रोओं तो शेहरा को समंदर कर दूं..
सख्त हो जाऊं तो मोम को पत्थर कर दूं..
राख हो जाए तो जहाँ में मैं अगर आह भरूँ..
आसमाँ टूट पड़े तुझसे जो फ़रियाद करूँ...
इतनी गहराई मेरे इश्क में आयी क्यूँ हैं?
ऐ खुदा तूने ये मोहब्बत बनाई क्यूँ है?
गर बनाई तो मोहब्बत में ज़ुदाई क्यूँ है?
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