बेटे भी घर छोड़ जाते हैं।
जो तकिये के बिना कहीं…भी सोने से कतराते थे…
आकर कोई देखे तो वो…कहीं भी अब सो जाते हैं …
खाने में सो नखरे वाले…अब कुछ भी खा लेते हैं…
अपने रूम में किसी को…भी नहीं आने देने वाले…
अब एक बिस्तर पर सबके…साथ एडजस्ट हो जाते हैं…
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं।।।
घर को मिस करते हैं लेकिन…कहते हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ’…
सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले…अब कहते हैं ‘कुछ नहीं चाहिए’…
पैसे कमाने की जरूरत में…वो घर से अजनबी बन जाते हैं…
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं।
बना बनाया खाने वाले …अब वो खाना खुद बनाते है …
माँ-बहन-बीवी का बनाया अब वो कहाँ खा पाते है।।
कभी थके-हारे भूखे भी सो जाते हैं।
लड़के भी घर छोड़ जाते है।
मोहल्ले की गलियां… जाने-पहचाने रास्ते…
जहाँ दौड़ा करते थे अपनों के वास्ते…
माँ बाप यार दोस्त सब पीछे छूट जाते हैं…
तन्हाई में करके याद…लड़के भी आँसू बहाते हैं…
लड़के भी घर छोड़ जाते हैं।।
नई नवेली दुल्हन, जान से प्यारे बहिन- भाई,
छोटे-छोटे बच्चे, चाचा-चाची, ताऊ-ताई ,
सब छुड़ा देती है साहब, ये रोटी और कमाई।
मत पूछो इनका दर्द वो कैसे छुपाते हैं,
बेटियाँ ही नही साहब, बेटे घर छोड़ जाते हैं।।।
Heart touching line
Heart touching line
Bhai diil jit liya ye लाइन
😭हृदयस्पर्शी पंक्तियां
nice
Right bro
That's true lines
Gjb