Tumhi ko hamne chaha tha, tumhi milte to accha tha... तुम्हीं को हमने चाहा था, तुम्हीं मिलते तो अच्छा था
जहाँ फूलों को खिलना था,वहीँ खिलते
तो अच्छा था....
तुम्हीं को हमने चाहा था, तुम्हीं मिलते
तो अच्छा था....
कोई आकर हमें पूछे तुम्हें कैसे भुलाया है....
तुम्हारे ख़त को अश्क से शबे गम ने
जलाया है...
हजारों ज़ख्म ऐसे हैं जो सिलते तो अच्छा था....
तुम्हीं को हमने चाहा था, तुम्हीं मिलते
तो अच्छा था....
तुम्हे जितना भुलाया है, तुम्हारी याद आई है....
बहारें जब भी आई हैं, तेरी खुशबू ही लायी हैं.....
तुम्हारे लब मेरी खातिर अगर हिलते
तो अच्छा था...
तुम्हीं को हमने चाहा था, तुम्हीं मिलते
तो अच्छा था....
मिला है लुत्फ़ भी हमको, हंसी यादों के चिलमन
में....
कटी है ज़िन्दगी तुम बिन, मगर इतनी सी है दिल
में...
अगर आते तो अच्छा था, अगर मिलते
तो अच्छा था....
तुम्हीं को हमने चाहा था, तुम्हीं मिलते
तो अच्छा था....
लब्जे-ऐ-जुबां को हक़ीकत में बदलते तो अच्छा था...!!